भारत और इंग्लैंड की महिला टीमों के बीच लॉर्ड्स के मैदान पर वनडे सीरीज का तीसरा और आखिरी मुकाबला खेला गया. इस मुकाबले में भारत की दीप्ति शर्मा ने इंग्लिश बल्लेबाज चार्लोट डीन को माकडिंग आउट किया और इस वजह से वह काफी सुर्खियों में रही. दीप्ति शर्मा के माकडिंग आउट करने के बाद एक बार फिर से इसको लेकर बहस शुरू हो गई है.
भारतीय फैंस दीप्ति शर्मा के सपोर्ट में हैं, जबकि कुछ दिग्गज उन्हें खरी-खोटी सुना रही हैं. हालांकि इस घटना के बाद फैंस के मन में माकडिंग को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं कि यह क्या होता है और कैसे इसकी शुरुआत हुई थी. अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो पूरी खबर पढ़ें.
क्या होता है माकडिंग?
अगर आप यह नहीं जानते कि माकडिंग क्या होता है तो आपको बता दें कि जब गेंदबाज गेंद फेंकने से पहले रनअप लेता है, लेकिन गेंदबाज के गेंद रिलीज करने से पहले नॉन स्ट्राइक एंड पर खड़ा बल्लेबाज क्रीज छोड़ देता है तो ऐसे में गेंदबाज गेंद को ना फेंककर नॉन स्ट्राइक एंड पर खड़े बल्लेबाज को रनआउट कर देता है. इसे ही माकडिंग कहा जाता है.
कैसे हुई थी माकडिंग की शुरुआत?
माकडिंग को सबसे पहले भारतीय क्रिकेटर वीनू माकंड ने शुरू किया था. उनके नाम के आधार पर ही इस नियम का नाम रखा गया. 1948 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक मैच हुआ था. इस मुकाबले में वीनू माकंड ने ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर बिल ब्राउन को दूसरे छोर पर आउट किया था. लेकिन इससे पहले उन्होंने एक बार उन्हें चेतावनी भी दी थी. बाद में इस तरह रन आउट करने के तरीके को माकडिंग नाम दे दिया गया.
तीनों फॉर्मेट में कौन बना पहला शिकार
टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले माकडिंग का शिकार बिल ब्राउन बने थे. वहीं वनडे फॉर्मेट में सबसे पहले माकडिंग का शिकार बनने वाले इंग्लैंड के ब्रायन लकहर्स्ट थे. वहीं T20 क्रिकेट में सबसे पहले माकडिंग का शिकार मार्क चैपमैन रहे, जिन्हें आमिर कलीम ने अपना शिकार बनाया था.