भारतीय क्रिकेट टीम में ऐसे कई खिलाड़ी आए जिनका आगाज तो धमाकेदार हुआ लेकिन अंजाम वैसा नहीं रहा. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर विजय भारद्वाज जिनको पहले ही दौरे पर ऐसी कामयाबी मिली जो डेब्यू करने वाले हर खिलाड़ी का सपना होता है. पहली सीरीज में गेंद और बल्ले से कमाल कर दिखाया और प्लेयर ऑफ द सीरीज बने लेकिन इसके बाद कुछ ही मुकाबलों के बाद वो टीम से बाहर हो गए और फिर कभी वापसी नहीं कर पाए।
90 के दशक में क्रिकेट को फॉलो कर चुके फैंस के जहन में विजय भारद्वाज का नाम जरूर मौजूद होगा. साल 1999-2000 इस भारतीय क्रिकेटर के लिए बेहद ही यादगार रहा. टीम इंडिया में डेब्यू का मौका मिला और एक नहीं बल्कि दोनों ही फॉर्मेट में विजय ने टीम की तरफ से अपना जलवा बिखेरा. अक्टूबर 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया और फिर सितंबर 1999 में वनडे में भारतीय टीम की तरफ से मैदान पर खेलने उतरे. हालांकि इन दोनों ही फॉर्मेट में उनका करियर ज्यादा लंबा नहीं चल पाया फिर भी जैसा प्रदर्शन रहा वो फैंस के जहन में छाप छोड़ने के लिए काफी है।
डेब्यू सीरीज में प्लेयर ऑफ द सीरीज
साल 1999-2000 में भारतीय टीम केन्या में एलजी कप खेलने पहुंची थी और वहीं साउथ अफ्रीका के खिलाफ विजय भारद्वाज ने डेब्यू किया. पहले मुकाबले में उन्होंने 1 विकेट हासिल किया और 18 रन की नाबाद पारी खेल टीम को जीत तक पहुंचाया. 4 वनडे मैच खेलने के बाद उन्होंने 41 रन की नाबाद पारी के साथ 89 रन बनाए जबकि विकेट लेने वालों की लिस्ट में 10 विकेट के साथ सबसे उपर रहे थे. फाइनल मैच में विजय ने 3 विकेट चटकाए थे और 24 रन की पारी भी खेली थी. उनके इस शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था।
10 वनडे और 3 टेस्ट खेलकर करियर खत्म
विजय ने जैसी धमाकेदार करियर की शुरुआत की थी उसे वो बरकरार नहीं रख पाए. इंटरनेशनल करियर में वो महज 3 टेस्ट और 10 वनडे मैच में ही खेलने उतर पाए. चयनकर्ताओं ने उनको इसके बाद कभी मौका नहीं दिया. 3 टेस्ट मैच में विजय भारद्वाज ने 28 रन बनाए और 1 विकेट हासिल किया जबकि 10 वनडे में उनके नाम 136 रन और 16 विकेट हैं. मार्च 2022 में जिम्बाब्वे के खिलाफ उन्होंने अपने करियर का आखिरी मैच खेला. इसके बाद टीम में वापसी की उम्मीद खत्म होने पर उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी. इंडियन प्रीमियर लीग के पहले तीन सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के साथ वो बतौर सहायक कोच जुड़े।